गुरुवार 4 दिसंबर 2025 - 15:55
हज़रत उम्मुल बनीन स.ल.से कैसे तवस्सुल करें?

हौज़ा / 13 जमादिउस सानी हज़रत अबुल फज़्लील अब्बास अलैहिस्सलाम की वालिदा हज़रत उम्मुल बनीन स.ल. की दुःखद पुण्यतिथि है। हज़रत उम्मुल बनीन स.ल. उन महान और करामात वाली हस्तियों में से हैं जिनकी शरण लेने वालों और बेसहारा लोगों के लिए पनाहगाह है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,13 जमादिउस सानी हज़रत अबुल फज़्लील अब्बास अलैहिस्सलाम की वालिदा हज़रत उम्मुल बनीन स.ल. की दुःखद पुण्यतिथि है। हज़रत उम्मुल बनीन स.ल. उन महान और करामात वाली हस्तियों में से हैं जिनकी शरण लेने वालों और बेसहारा लोगों के लिए पनाहगाह है।

हज़रत उम्मुल बनीन स.ल. उन महान और करामात वाली हस्तियों में से हैं जिनकी शरण लेने वालों और बेसहारा लोगों के लिए पनाहगाह है। इसी कारण से, आम मुसलमानों, शियान-ए-हैदर करार और आले मोहम्मद से दिली लगाव रखने वालों के बीच इनका ऊँचा मुकाम और स्थान है।

हज़रत उम्मुल बनीन स.ल. से बहुत सी करामातें मनसूब (जुड़ी हुई) हैं, जिनमें से दो करामातों को यहाँ नमूने के तौर पर बयान करते हैं:

1. आयतुल्लाहिल उज़्मा हाज सैय्यद महमूद हुसैनी शाहरूदी (रहमतुल्लाह अलैह) फरमाते हैं, मैं मुश्किलात और परेशानियों में सौ बार दुरूद (सलवात) हज़रत अब्बास (अलैहिस्सलाम) की वालिदा-ए-मुकर्रमा जनाब हज़रत उम्मुल बनीन स.ल. के लिए पढ़ता हूँ और अपनी हाजतें बयान करता हूँ।

2. आयतुल्लाहिल उज़्मा सैय्यद मोहम्मद शिराजी (रहमतुल्लाह अलैह) फरमाते हैं,एक शख़्स आलम-ए-मुकाशफा में हज़रत कमर-ए-बनी हाशिम अब्बास अलमदार (अलैहिस्सलाम) को देखता है और अर्ज़ करता है, 'मौला, मेरी एक हाजत है। किससे मुतवस्सिल (वासिला बनाऊं), ताकि मेरी हाजत पूरी हो जाए? हज़रत अब्बास अलैहिस्सलाम ने फरमाया,मेरी मादर-ए-गिरामी उम्मुल बनीन स.ल. से मुतवस्सिल हो जाओ!

संदर्भ: सितारा-ए-दरख़शान-ए-मदीना, हज़रत उम्मुल बनीन, पृष्ठ 140, 142

इनशाअल्लाह, आज दो रकात नमाज़ (नमाज़-ए-सुबह की तरह) पढ़ें और उसका सवाब हज़रत उम्मुल बनीन (सलाम अलैहा) के नाम पर हदिया (तोहफ़ा) करें। और एक बार सूरह यासीन और कम से कम सौ बार "अल्लाहुम्मा सल्ले अला मोहम्मदिन व आले मोहम्मद" (दुरूद) पढ़ें। (बेशक अगर एक हज़ार बार दुरूद पढ़ें तो बेहतर है।) फिर अपनी माद्दी (दुनियावी) और मअनवी (आध्यात्मिक) हाजतों को ख़ुदा की बारगाह में हज़रत उम्मुल बनीन (सलामुल्लाह अलैहा) को वसीला बनाकर मांगें।

क़यामत के दिन इस बा-करामत  ख़ातून की ख़ास शफाअत से हम सब बहरामंद हों, इनशाअल्लाह।

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